लग्न निकालना

26 March, 2019
लग्न निकालना

लग्न निकालना  

साम्पातिक काल: यह सूर्य घडी का समय होता है, तथा हमारी घडी से 24 घंटों में लगभग 4 मिनट अधिक तेज चलती है अर्थात एक घंटे में 10 सैकिंड अधिक तेज चलती है।    

कृष्णामूर्ति पंचांग में प्रातः पांच बजकर तीस मिनट का साम्पातिक काल एवं ग्रहों की दैनिक स्थिति होती है। 

हिन्दी पंचांग के पांच अंग होते है। तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।

लग्न सारिणी में दिये गये साम्पातिक काल के समय के भाव स्पष्ट  लग्न , द्वितीय, तृतीय दशम, एकादष एवं द्वादष भाव दिये होते हैं। इन भावों में 6 राशियां जोडने से इनके सामने वाले भाव ( चतुर्थ , पंचम , छठा , सप्तम , अष्टम व नवम स्पष्ट हो जाते है )। बाजार में उपलब्ध सारिणी में भाव सायन पद्धति में दिये हैं। सायन में से अयनांश घटाने से निरयन भाव निकल आते है।  

पाठकों  की सरलता हेतु इस पुस्तक में दी गई सारिणी मे भाव निरयन में हैं। भारत में निरयन पद्धति पर ही ज्योतिष आधारित है।

    

    अयनांश: पृथ्वी अपनी धुरी से कुछ झुकी हुई है। यह झुकाव लगभग 1 मिनट प्रति वर्ष बढ जाता है। वर्ष 1999 में यह झुकाव 23 डिग्री 45 मिनट है।

 

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